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29.1.14

ऐसी लागी लगन मीरा हो गयी मगन


है आँख वो जो श्याम का दर्शन किया करे,
है शीश जो प्रभु चरण में वंदन किया करे ।
बेकार वो मुख है जो व्यर्थ बातों में,
मुख है वो जो हरी नाम का सुमिरन किया करे ॥
हीरे मोती से नहीं शोभा है हाथ की,
है हाथ जो भगवान् का पूजन किया करे ।
मर के भी अमर नाम है उस जीव का जग में,
प्रभु प्रेम में बलिदान जो जीवन किया करे ॥

ऐसी लागी लगन, मीरा हो गयी मगन ।
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ॥

महलों में पली, बन के जोगन चली ।
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी ॥

कोई रोके नहीं, कोई टोके नहीं,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी ।
बैठी संतो के संग, रंगी मोहन के रंग,
मीरा प्रेमी प्रीतम को मनाने लगी ।
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ॥

राणा ने विष दिया, मानो अमृत पिया,
मीरा सागर में सरिता समाने लगी ।
दुःख लाखों सहे, मुख से गोविन्द कहे,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी ।
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ॥
............................................................................

..............................................................................Anup Jalota

28.1.14

Ek Boond



 ज्यों निकल कर बादलों की गोद से।

 थी अभी एक बूँद कुछ आगे बढ़ी।।

सोचने फिर फिर यही जी में लगी।

आह क्यों घर छोड़कर मैं यों बढ़ी।।

 दैव मेरे भाग्य में क्या है बढ़ा।

 में बचूँगी या मिलूँगी धूल में।।

या जलूँगी गिर अंगारे पर किसी।

चू पडूँगी या कमल के फूल में।

 बह गयी उस काल एक ऐसी हवा।

 वह समुन्दर ओर आई अनमनी।।

 एक सुन्दर सीप का मुँह था खुला।

 वह उसी में जा पड़ी मोती बनी।।

लोग यों ही है झिझकते, सोचते

जबकि उनको छोड़ना पड़ता है घर।।

किन्तु घर का छोड़ना अक्सर उन्हें।

बूँद लौं कुछ और ही देता है कर।।
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                               .............................................  Ayodhya Singh Upadhyaya "Hariaudh"

26.1.14

He Sharde Maa, He Sharde Maa



हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां


तू स्वर की देवी है संगीत तुझसे,

हर शब्द तेरा है हर गीत तुझसे,

हम हैं अकेले, हम हैं अधूरे,

तेरी शरण हम, हमें प्यार दे मां

हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां...


मुनियों ने समझी, गुणियों ने जानी,

वेदों की भाषा, पुराणों की बानी,

हम भी तो समझें, हम भी तो जानें,

विद्या का हमको अधिकार दे मां

हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां....


तु श्वेतवर्णी, कमल पे बिराजे,

हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे,

मन से हमारे मिटा दे अंधेरे,

हमको उजालों का संसार दे मां


हे शारदे मां, हे शारदे मां अज्ञानता से हमें तार दे मां....






He Sharde Maa, He Sharde Maa
agyanta se hame taarde Ma

25.1.14

YEH ISHQ NAHI AASAN

मासूम मोहब्बत का बस इतना फ़साना है,
कागज़ की हवेली है,बारिश का ज़माना है. 

क्या रस्म-ए-मोहब्बत है,क्या शर्त-ए-ज़माना है,
आवाज़ भी ज़ख़्मी है और गीत भी गाना है. 

टूटा हुआ दिल अपना यूँ उनको दिखाना है,
भीगी हुई आँखों से एक शेर सुनाना है. 

उस पार उतरने की उम्मीद नहीं रखना,
कश्ती भी पुरानी है,तूफ़ान भी आना है. 

नादानी मेरे दिल की फिर इश्क़ की ज़द पर है,
फिर आग का दरिया है,फिर डूब के जाना है. 

ये इश्क़ नहीं आसान बस इतना समझ लीजिये,
एक आग का दरिया है और डूब के जाना है.

.......................................................................................Anonymous

24.1.14

Saare Jahan Se Achcha

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा

गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा

परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा

गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनां हमारा

ऐ आब-ए-रौंद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको
उतरा तेरे किनारे, जब कारवां हमारा

मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हमारा

यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहाँ से ।
अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशां हमारा

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा

'इक़बाल' कोई मरहूम, अपना नहीं जहाँ में
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहां हमारा

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा ।
...........................................................................

................................................................................- मुहम्मद इक़बाल

23.1.14

Pushp Ki Abhilasha

पुष्प की अभिलाषा

चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ

चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ

चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊँ

चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ

मुझे तोड़ लेना वनमाली
उस पथ पर देना तुम फेंक

मातृभूमि पर शीश चढ़ाने

जिस पर जावें वीर अनेक ।।

.......................................................................

............................................................. माखनलाल चतुर्वेदी

22.1.14

Agneepath



अग्निपथ

वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी
मांग मत! मांग मत! मांग मत!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु, स्वेद, रक्त से
लथ-पथ, लथ-पथ, लथ-पथ,
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!

...........................................................................................

................................................................................................हरिवंशराय बच्‍चन


Vriksh hon bhale khade,
Hon ghane, hoh bade,
Ek patra chhah bhi
Maang mat! Maang mat! Maang mat!
Agneepath! Agneepath! Agneepath!

17.1.14

Honton Se Chholo Tum

quote by Melanie M Koulouris

Audio (Honton Se Chholo Tum)

होठों से छूं लो तुम  मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो

ना उम्र की सीमा हो, ना जन्मों का हो बंधन

जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन
नयी रीत चलाकर तुम  ये रीत अमर कर दो

आकाश का सूनापन  मेरे तनहा मन में

पायल झनकाती तुम आ जाओ जीवन में
साँसे देकर अपनी संगीत अमर कर दो

जग ने छिना मुझ से, मुझे जो भी लगा प्यारा

सब जीता किये मुझ से, मैं हर पल ही हारा

तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दो
..............................................................................
....................................................................................Jagjit Singh

English

Honthon Se Chulo Tum
Meraa Git Amar Kar Do
Ban Jaao Mit Mere
Meri Prit Amar Kar Do



Jana Gana Mana


राष्ट्रगान

जन गण मन अधिनायक जय हे

भारत भाग्य विधाता

पंजाब सिन्ध गुजरात मराठा

द्राविड़ उत्कल बंग

विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा

उच्छल जलधि तरंग

तव शुभ नामे जागे

तव शुभ आशिष मागे

गाहे तव जय गाथा

जन गण मंगल दायक जय हे

भारत भाग्य विधाता

जय हे जय हे जय हे

जय जय जय जय हे!!
...................................................................................

.................................................................. रवीन्द्रनाथ ठाकुर



English translation


Rabindranath Tagore
The following translation (edited in 1950 to replace Sindh with Sindhu as Sindh after partition was allocated to Pakistan), attributed to Tagore, is provided by the Government of India's national portal

16.1.14

Vande Mataram




वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां
मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां
मातरम् ।

शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम् ।। १ ।। वन्दे मातरम् ।

कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले ।
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम् ।। २ ।।
वन्दे मातरम् ।

तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वं हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडि
मन्दिरे-मन्दिरे

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम्
नमामि कमलां
अमलां अतुलां
सुजलां सुफलां मातरम् ।। ४ ।।
वन्दे मातरम् ।

श्यामलां सरलां
सुस्मितां भूषितां
धरणीं भरणीं मातरम् ।। ५ ।।
वन्दे मातरम् ।।

........................................................................................

.................................................................................... Bankim Chandra Chattopadhyay


English Translation By Sri Aurobindo 

Mother, I salute thee!
Rich with thy hurrying streams,
bright with orchard gleams,
Cool with thy winds of delight,
Dark fields waving Mother of might,
Mother free.

Khawab jo

Audio ( Khwab jo )

Jo Tujhe Jagayee
Neend Teri Udayein
Khawab Hai Sacha Wahi 

Neendon Mein Jo Aaye
Jisee To Bhool Jaye
Khawab Woh Sacha Nahi

Khawab Ko Raag De
Neend Ko Aag De
O O O
Angraron Ko Jaaye
Angraron Ko Jaaye
Koyalon Sa Jo Gaaye
Khawab Hai Sacha Wohi 

Lehareein Jo Uthaye
Paniyon Ko To Uthaye

Khawab Hai Sache Wohi

Khawab Ko Raag De
Neend Ko Aag De
O O O

Manzilon Pe Tauyhaar Hai

Lekin Woh Haar Hai 
Kya Khusi Apno Ke Bin
Hai Adhuri Har Jeet Bhi 
Sargam Sangeet Bhi

Adhura Apno Ke Bin
Khwabon Ke Badal 
Chane Do Lekin 
Risthon Ki Lok Bacha Ke Barasna

Kheti Hai Hawaien 
Chum Le Gagan Ko 
Pankho Ko Khol Chodna Tarasna
Lyricsmasti.Com
Khawab Ko Raag De
Neend Ko Aag De

Na Na Na Na Na
Ra Ra Ra Ra Ra

La Ra Ra La La La Ra Ra 

Khawab Ko Raag De
Neend Ko Aag De

Khawab Ko Khawab Ko Raag De
Neend Ko Aag De
Aag De
O O O
......................................................................

...........................................................................Prasoon Joshi

Mere To Giridhar Gopal


मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।
तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई॥।
छाँड़ि दी कुल की कानि कहा करिहै कोई।
संतन ढिंग बैठि-बैठि लोक लाज खोई॥
चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई।
मोती मूँगे उतार बनमाला पोई॥
अँसुवन जल सींचि सींचि प्रेम बेलि बोई।
अब तो बेल फैल गई आणँद फल होई॥
दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलोई।
माखन जब काढ़ि लियो छाछा पिये कोई॥
भगत देख राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी "मीरा" लाल गिरिधर तारो अब मोही॥


..................................................................................
....................................................................................- मीराबाई

15.1.14

वर दे




वर दे


वर दे! 

वीणावादिनि वरदे! 

प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव 

भारत में भर दे!




काट अंध उर के बंधन स्तर 


बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर 

कलुष-भेद - तम हर प्रकाश भर 

जगमग जग कर दे!




नव गति, नव लय, ताल, छंद नव, 


नवल कंठ, नव जलद - मंद्र रव, 

नव नभ के नव विहग-वृन्द को 

नव पर नव स्वर दे!


..............................................................................
.................................................................................सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"

Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko

नर हो न निराश करो मन को
कुछ काम करो कुछ काम करो 
जग में रह के निज नाम करो।

यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो!
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो।
कुछ तो उपयुक्त करो तन को 
नर हो न निराश करो मन को

सँभलो कि सुयोग न जाए चला 
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला!
समझो जग को न निरा सपना 
पथ आप प्रशस्त करो अपना।
अखिलेश्वर है अवलम्बन को 
नर हो न निराश करो मन को।।

जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ 
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ!
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो 
उठ के अमरत्व विधान करो।
दवरूप रहो भव कानन को 
नर हो न निराश करो मन को।।

निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे।
सब जाय अभी पर मान रहे 
मरणोत्तर गुंजित गान रहे।
कुछ हो न तजो निज साधन को
नर हो न निराश करो मन को।।
.............................................................................

..................................................................................मैथिली शरण गुप्त 


English 


14.1.14

Maiyaa Moree Main Naheen Maakhan Khaayo

मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो,
भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहिं पठायो ।
चार पहर बंसीबट भटक्यो, साँझ परे घर आयो ॥
मैं बालक बहिंयन को छोटो, छींको किहि बिधि पायो ।
ग्वाल बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो ॥
तू जननी मन की अति भोरी, इनके कहे पतिआयो ।
जिय तेरे कछु भेद उपजि है, जानि परायो जायो ॥
यह लै अपनी लकुटि कमरिया, बहुतहिं नाच नचायो ।
'सूरदास' तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो ॥
...............................................................................

.............................................................................................- सूरदास


Amar Sparsh

अमर स्पर्श


खिल उठा हृदय,
पा स्पर्श तुम्हारा अमृत अभय!

खुल गए साधना के बंधन,
संगीत बना, उर का रोदन,
अब प्रीति द्रवित प्राणों का पण,
सीमाएँ अमिट हुईं सब लय।

क्यों रहे न जीवन में सुख दुख
क्यों जन्म मृत्यु से चित्त विमुख?
तुम रहो दृगों के जो सम्मुख
प्रिय हो मुझको भ्रम भय संशय!

तन में आएँ शैशव यौवन
मन में हों विरह मिलन के व्रण,
युग स्थितियों से प्रेरित जीवन
उर रहे प्रीति में चिर तन्मय!

जो नित्य अनित्य जगत का क्रम
वह रहे, न कुछ बदले, हो कम,
हो प्रगति ह्रास का भी विभ्रम,
जग से परिचय, तुमसे परिणय!

तुम सुंदर से बन अति सुंदर
आओ अंतर में अंतरतर,
तुम विजयी जो, प्रिय हो मुझ पर
वरदान, पराजय हो निश्चय!
......................................................................

.................................................................................- सुमित्रानंदन पंत



Parchhaaiyaan

परछाइयाँ

.....................................................................
          जवान रात के सीने पे दूधिया आँचल
          मचल रहा है किसी ख्वाबे-मरमरीं की तरह
          हसीन फूल, हसीं पत्तियाँ, हसीं शाखें
          लचक रही हैं किसी जिस्मे-नाज़नीं की तरह
          फ़िज़ा में घुल से गए हैं उफ़क के नर्म खुतूत
          ज़मीं हसीन है, ख्वाबों की सरज़मीं की तरह

तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरतीं हैं
कभी गुमान की सूरत कभी यकीं की तरह
वे पेड़ जिन के तले हम पनाह लेते थे
खड़े हैं आज भी साकित किसी अमीं की तरह

          इन्हीं के साए में फिर आज दो धड़कते दिल
          खामोश होठों से कुछ कहने-सुनने आए हैं
          न जाने कितनी कशाकश से कितनी काविश से
          ये सोते-जागते लमहे चुराके लाए हैं

Paayo Jee Main To Ram Ratan Dhan Paayo

पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो।
वस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरू, किरपा कर अपनायो॥
जनम-जनम की पूँजी पाई, जग में सभी खोवायो।
खरच न खूटै चोर न लूटै, दिन-दिन बढ़त सवायो॥
सत की नाँव खेवटिया सतगुरू, भवसागर तर आयो।
'मीरा' के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस पायो॥
.................................................................................
....................................................................................- मीराबाई

Kaahe Ree Nalinee

काहे री नलिनी तूं कुमिलानी ।
तेरे ही नालि सरोवर पानीं ॥
जल में उतपति जल में बास, जल में नलिनी तोर निवास ।
ना तलि तपति न ऊपरि आगि, तोर हेतु कहु कासनि लागि ॥
कहे 'कबीर' जे उदकि समान, ते नहिं मुए हमारे जान ।


.................................................................................................
......................................................................................................- कबीरदास
.................................

Beggarly Heart

When the heart is hard and parched up, 
come upon me with a shower of mercy. 

When grace is lost from life, 
come with a burst of song. 

When tumultuous work raises its din on all sides shutting me out from 
beyond, come to me, my lord of silence, with thy peace and rest. 


When my beggarly heart sits crouched, shut up in a corner, break open the door, my king, and come with the ceremony of a king.
 
When desire blinds the mind with delusion and dust, O thou holy one, 
thou wakeful, come with thy light and thy thunder.

..........................................................................................
...............................................................................Rabindranath Tagore

13.1.14

Where The Mind Is Without Fear










Where the mind is without fear and the head is held high
Where knowledge is free 

Where the world has not been broken up into fragments
By narrow domestic walls
 
Where words come out from the depth of truth
Where tireless striving stretches its arms towards perfection 

Where the clear stream of reason has not lost its way
Into the dreary desert sand of dead habit 

Where the mind is led forward by thee
Into ever-widening thought and action 

Into that heaven of freedom, my Father, let my country awake 
................................................................................................

Koshish Karne Walon Ki

कोशिश करने वालों की


लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।


--..........................................................
                                                             —   हरिवंशराय बच्चन


Koshish Karne Walon Ki  (English)

10.1.14

Jo Beet gayi so baat gayi

जो बीत गई सो बात गई 

.............................................................................................................

जीवन में एक सितारा था

माना वह बेहद प्यारा था

वह डूब गया तो डूब गया

अंबर के आंगन को देखो

कितने इसके तारे टूटे

कितने इसके प्यारे छूटे

जो छूट गए फ़िर कहाँ मिले

पर बोलो टूटे तारों पर

कब अंबर शोक मनाता है

जो बीत गई सो बात गई


जीवन में वह था एक कुसुम

थे उस पर नित्य निछावर तुम

वह सूख गया तो सूख गया

मधुबन की छाती को देखो

सूखी कितनी इसकी कलियाँ

मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ

जो मुरझाईं फ़िर कहाँ खिलीं

पर बोलो सूखे फूलों पर

कब मधुबन शोर मचाता है

जो बीत गई सो बात गई


जीवन में मधु का प्याला था

तुमने तन मन दे डाला था

वह टूट गया तो टूट गया

मदिरालय का आंगन देखो

कितने प्याले हिल जाते हैं

गिर मिट्टी में मिल जाते हैं

जो गिरते हैं कब उठते हैं

पर बोलो टूटे प्यालों पर

कब मदिरालय पछताता है

जो बीत गई सो बात गई


मृदु मिट्टी के बने हुए हैं

मधु घट फूटा ही करते हैं

लघु जीवन ले कर आए हैं

प्याले टूटा ही करते हैं

फ़िर भी मदिरालय के अन्दर

मधु के घट हैं,मधु प्याले हैं

जो मादकता के मारे हैं

वे मधु लूटा ही करते हैं

वह कच्चा पीने वाला है

जिसकी ममता घट प्यालों पर

जो सच्चे मधु से जला हुआ


कब रोता है चिल्लाता है

जो बीत गई सो बात गई

    

                                                         
  ........................................................

                                                  —   हरिवंशराय बच्चन


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Jo Beet gayi so baat gayi (English)